वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
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अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय shiv chalisa in hindi व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
पाठ करने से पहले गाय के घी more info का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥